खुश रहने का हुनर कोई उनसे सीखे, बिना छप्पर के जिनके मकान होते हैं

खुश रहने का हुनर कोई उनसे सीखे, बिना छप्पर के जिनके मकान होते हैं

I AM BHOPAL ।   मुक्तक लोक समूह द्वारा आयोजित आॅनलाइन एकल काव्यपाठ की श्रृंखला में बुधवार को मध्यप्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार अरूण अर्णव खरे के एकल काव्यपाठ का आयोजन किया गया । उन्होंने काव्य की अनेक विधाओं, गीत, गीतिका, मुक्तक, दोहा, छंदमुक्त, बालगीत, नवगीत और क्षणिका के साथ ही विभिन्न रसों में अपना काव्यपाठ कर श्रोताओं को सम्मोहित कर दिया । उन्होंने इस दौरान कईं कविताओं का पाठ किया। इसमें उन्होंने 'बस्ती-बस्ती आग लगा दी सियासतदारों ने, मैं तो बचा खिंचा सद्भाव बचाने निकला हूं’ और 'बयार कुछ ऐसी बही, लगे हैं लोग कहने। शेर प्रेम सद्भाव के अब मजा नहीं देते’ और 'खुश रहने का हुनर कोई उनसे सीखे, बिना छप्पर के जिनके मकान होते हैं।' पढ़कर श्रोताओं ने जमकर लाइक्स दिए।