भारत में अलर्ट: जुलाई में 21 लाख तक हो सकते हैं कोरोना पॉजिटिव

भारत में अलर्ट: जुलाई में 21 लाख तक हो सकते हैं कोरोना पॉजिटिव

वाशिंगटन। भारत भी दुनिया भर में कोरोना के हॉटस्पॉट में से एक बन गया है और यहां संक्रमण के मामले 144,941 से भी ज्यादा हो चुके हैं, वहीं देश में संक्र मण से 4,172 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और भारत अब केसों के मामले में ईरान को पीछे कर टॉप-10 देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है। वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ़  मिशिगन और जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने कोरोना मॉडल के जरिए चेतावनी दी है कि भारत में जुलाई के पहले हफ्ते  तक 6.30 लाख से 21 लाख लोग संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। यूनिवर्सिटी के प्रो. भ्रमर मुखर्जी ने बताया कि यहां स्थिति और गंभीर हो सकती है। प्रो. भ्रमर मुखर्जी का कहना है कि भारत में संक्रमण के मामलों का बढ़ना अभी कम नहीं हुआ है, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही भारत में कोरोना के मामले हर 13 दिन में डबल हो रहे हैं। ऐसे में सरकार का लॉकडाउन से जुड़ी पाबंदियों में ढील देना मुश्किलें बढ़ा सकता है। वहीं उन्होंने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी चिंता जाहिर की है।

सिर्फ 7 से 10 दिन तक ही रहता है संक्रमण फैलने का खतरा

कोरोना मरीज संक्रमित होने के 11 दिनों के बाद संक्रमण फैलाना बंद कर देते हैं। सिंगापुर के नेशनल सेंटर फॉर इनफेक्शस डिसीज तथा एकेडमी ऑफ़ मेडिसिन के रिसर्चर्स ने 73 मरीजों का परीक्षण कर यह खुलासा किया है कि वायरस के संपर्क में आने वाला व्यक्ति दो दिनों के भीतर संक्रमित हो जाता है। हालांकि इस समय तक उसमें संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते। रोग के लक्षण दिखने के बाद 7 से 10 दिनों तक उनके द्वारा दूसरों को संक्रमण फैलाने का खतरा रहता है। लक्षणों में तेज बुखार, खांसी एवं सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं शामिल हैं।

एक सप्ताह बाद थम जाती है वायरस की वृद्धि

मरीज में दो हफ्ते  के बाद भी वायरस के कुछ अंश तो हो सकते हैं, पर वे उतनी मात्रा में नहीं होते, जिससे दूसरों में संक्रमण फैल जाए। संक्रमित होने के 1 हफ्ते  बाद शरीर में वायरस की वृद्धि कम हो जाती है तथा दूसरे हफ्ते  के बाद शरीर में सक्रिय वायरस नहीं पाए जाते।

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का ट्रायल WHO रोका

डब्ल्यूएचओ के चीफ टेड्रोस अधानोम ने कहा कि सुरक्षा कारणों से कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के इस्तेमाल को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने कहा, लैंसेट की स्टडी रिपोर्ट बनाने वालों ने बताया है कि इलाज पा रहे लोगों में अकेले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन या मैक्रोलाइड के इस्तेमाल से मौत की आशंका बढ़ी हुई नजर आई है।